November 15, 2025
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अष्टांग योग: संपूर्ण जीवन का मार्ग

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अष्टांग योग: संपूर्ण जीवन का मार्ग

रिपोर्ट: डी.डी. चारण

योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली और आत्मविकास का साधन है। अधिकतर लोग यह मानते हैं कि यदि उन्हें कोई बीमारी नहीं है तो वे स्वस्थ हैं, लेकिन वास्तव में स्वास्थ्य का अर्थ शरीर और मन के संतुलन से है। योग का प्रभाव बहुआयामी होता है – यह न केवल स्वस्थ व्यक्ति को और अधिक स्वस्थ बनाता है, बल्कि बीमारियों को बढ़ने से रोकता है और स्वास्थ्य सुधार की प्रक्रिया को तेज करता है।

अष्टांग योग: योग का सम्पूर्ण मार्ग

योग केवल आसनों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आठ अंगों वाला एक संपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है, जिसे अष्टांग योग कहते हैं। यह हमारे जीवन को अनुशासित, संतुलित और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाने में मदद करता है। आइए जानते हैं इसके आठ चरण:

1️⃣ यम – सत्य, अहिंसा, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह का पालन करना।
2️⃣ नियम – शौच (शुद्धता), संतोष, तप, स्वाध्याय (अध्ययन) और ईश्वर प्राणिधान (आत्मसमर्पण)।
3️⃣ आसन – शरीर को मजबूत और संतुलित बनाए रखने के लिए विभिन्न योग मुद्राएँ।
4️⃣ प्राणायाम – श्वास नियंत्रण, जो चेतना को जागरूक करता है और मानसिक स्थिरता लाता है।
5️⃣ प्रत्याहार – इंद्रियों को बाहरी आकर्षणों से हटाकर आंतरिक रूप से केंद्रित करना।
6️⃣ धारणा – मन को एक लक्ष्य पर केंद्रित करना और विचारों को नियंत्रित करना।
7️⃣ ध्यान – गहन मानसिक एकाग्रता और आत्म-चिंतन की अवस्था।
8️⃣ समाधि – आत्मा और ब्रह्म के मिलन की सर्वोच्च अवस्था।

मीरा बाल मंदिर में योग प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

आज मीरा बाल मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय में योग प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। इस अवसर पर भारत सरकार के योग सर्टिफिकेशन बोर्ड से प्रमाणित योग शिक्षक एवं एग्जामिनर श्री घनश्याम चौधरी ने योग साधकों को संबोधित करते हुए अष्टांग योग के महत्व पर प्रकाश डाला।

योगासन खेल के राष्ट्रीय रेफरी श्री चौधरी ने प्रतिभागियों को सूक्ष्म व्यायाम, सूर्य नमस्कार, भस्त्रिका, कपालभाति, उज्जायी, भ्रामरी और अनुलोम-विलोम प्राणायाम का अभ्यास कराया। उन्होंने योग अभ्यास की सावधानियों और लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और सभी साधकों को नियमित अभ्यास करने का आग्रह किया।

योग के लाभ

शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: योग करने से शरीर की लचीलापन, शक्ति और संतुलन में वृद्धि होती है।
मानसिक शांति: ध्यान और प्राणायाम से मानसिक तनाव कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: नियमित योग अभ्यास से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव: योग अनुशासन, आत्म-संयम और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है।

कार्यक्रम का समापन

कार्यक्रम के अंत में श्री ललित भारती ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। इस योग अभ्यास सत्र में श्याम सुंदर, रामेश्वर भाटी, रूपा चौधरी, रेखा, हुकमाराम, रुपाराम, रामप्रकाश, सहदेव राम सहित कई योग साधक उपस्थित रहे।

निष्कर्ष: योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी आवश्यक है। इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और स्वस्थ, सुखी एवं संतुलित जीवन का आनंद लें।


 

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