रियांबड़ी (नागौर), झिटियां गांव – सामाजिक समरसता की अनूठी मिसाल पेश करते हुए पुना राम ककडा़वा के परिवार ने वाल्मीकि समाज के लोगों को सम्मानपूर्वक आमंत्रित कर अपने घर पर भोजन कराया। जातिवाद और छुआछूत जैसी कुरीतियों को दरकिनार करते हुए यह आयोजन पुना राम जी ककडा़वा की पुण्य स्मृति में किया गया।

इस आयोजन में ककडा़वा परिवार ने न केवल वाल्मीकि समाज का भव्य स्वागत किया, बल्कि पूरे गांव को एकता और भाईचारे का संदेश भी दिया। वाल्मीकि समाज के लोगों को गाजे-बाजे के साथ लाया गया, उनके स्वागत में पुष्प वर्षा की गई और फिर पूरे मान-सम्मान के साथ उन्हें भोजन परोसा गया। इसके बाद पूरे गांव ने सामूहिक रूप से भोजन ग्रहण किया।


पुना राम ककडा़वा का सामाजिक समरसता के प्रति समर्पण

स्वर्गीय पुना राम ककडा़वा का जन्म चौधरी हरि राम ककडा़वा के परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही सामाजिक कार्यों में रुचि रखते थे और समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ हमेशा जागरूकता फैलाने का कार्य करते रहे।

वे जातिगत भेदभाव और छुआछूत के खिलाफ थे और उन्होंने हमेशा वाल्मीकि समाज एवं अन्य दलित समुदायों के लोगों को अपने बराबर सम्मान दिया। वे अक्सर उन्हें अपने पास बैठाकर बातचीत करते और सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूक करने का कार्य करते थे।

उनकी इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए उनके परिवार ने इस विशेष परंपरा को पुनर्जीवित किया जो पिछले 35 वर्षों से जारी है।


वाल्मीकि समाज के लोगों का भव्य स्वागत

पुना राम ककडा़वा की पुण्य स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम में रामपाल, रामनिवास, सावल राम, शुभकरण, सिताराम और पूरे ककडा़वा परिवार ने मिलकर वाल्मीकि समाज के लोगों को संपूर्ण मान-सम्मान के साथ आमंत्रित किया।

  1. गाजे-बाजे के साथ आगमन:
    • वाल्मीकि समाज के लोगों को पूरे सम्मान के साथ बैंड-बाजे और ढोल-नगाड़ों के साथ उनके घरों से लाया गया।
    • स्वागत के लिए रास्ते में लाल गलीचा बिछाया गया।
  2. पुष्प वर्षा और चरण वंदन:
    • आगमन के दौरान पूरे रास्ते में फूलों की वर्षा की गई।
    • उन्हें परिवार के घर बुलाकर चरण धोकर सम्मानित किया गया।
  3. सम्मानपूर्वक भोजन आयोजन:
    • उन्हें अपने हाथों से भोजन परोसा गया।
    • भोजन के बाद पूरे गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से भोजन ग्रहण कर सामाजिक समरसता का संदेश दिया।

अनूठी मिसाल: आभूषण और नकद राशि देकर दी विदाई

वाल्मीकि समाज के लोगों को भोजन के बाद उपहारस्वरूप सोने-चांदी के आभूषण और नकद राशि देकर ससम्मान विदाई दी गई।

इस मौके पर रामनिवास ककडा़वा ने कहा,

“हमारे पिता पुना राम ककडा़वा ने हमेशा समाज में छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ कार्य किया। हमें गर्व है कि हम उनकी सोच को आगे बढ़ा रहे हैं और यह परंपरा जारी रखेंगे।”


सामाजिक समरसता के लिए जातिवाद नुकसानदायक

रालोपा युवा नेता विजय पाल राव और गांव के वरिष्ठ नागरिकों ने इस आयोजन की सराहना की और जातिवाद को समाज के लिए जहर बताया।

उन्होंने कहा कि,

“राजनीति में जातिवाद हावी होने से सामाजिक एकता और भाईचारे को नुकसान पहुंचता है। सनातन धर्म की परंपराओं को बनाए रखना जरूरी है, ताकि समाज में प्रेम, सौहार्द्र और समरसता बनी रहे।”


गांव के लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया

गांव के लोगों ने भी इस आयोजन को समाज के लिए प्रेरणादायक बताया। ग्रामीणों का कहना है कि जातिवाद को समाप्त करने के लिए इस प्रकार के आयोजनों की अत्यधिक आवश्यकता है।

कुछ प्रमुख प्रतिक्रियाएं:

✅ गोपाल सिंह, वरिष्ठ ग्रामीण: “यह आयोजन नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। इससे पूरे गांव को एकता और भाईचारे का संदेश मिला।”

✅ शांति देवी, महिला समूह प्रमुख: “जातिवाद और छुआछूत समाज की प्रगति में बाधा डालते हैं। ककडा़वा परिवार का यह कदम एक मिसाल है।”

✅ महेन्द्र कुमार, युवा नेता: “हम चाहते हैं कि इस तरह के आयोजन हर गांव में हों, ताकि समाज से भेदभाव खत्म हो।”