अमेरिका ने भारत को “अवैध ड्रग हब” बताया – ट्रंप का बयान और रिपोर्ट के तथ्य
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत को “अवैध ड्रग हब” बताया है। उनका यह बयान अमेरिका प्रशासन द्वारा तैयार की गई एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें भारत को उन प्रमुख देशों की सूची में शामिल किया गया है जहाँ अवैध ड्रग्स का उत्पादन और ट्रांजिट बड़े पैमाने पर हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, ड्रग्स की यह तस्करी अमेरिका की सुरक्षा और समाज के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है।
ट्रंप का यह दावा अमेरिकन प्रेसीडेंट डिटरमिनेशन रिपोर्ट पर आधारित है, जिसे अमेरिकी कांग्रेस को सौंपा गया था। रिपोर्ट में भारत को उन प्रमुख देशों में रखा गया है जो अवैध ड्रग्स के उत्पादन और ट्रांज़िट में शामिल हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण भारत की भौगोलिक स्थिति है। भारत अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान (जिसे “गोल्डन क्रिसेंट” कहा जाता है) और म्यांमार, लाओस व थाईलैंड (“गोल्डन ट्राएंगल”) जैसे प्रमुख अफीम उत्पादक क्षेत्रों के बीच एक महत्वपूर्ण ट्रांजिट रूट बनता है।
हाल के वर्षों में भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन के जरिए ड्रग्स की तस्करी में तेज़ी आई है, जिससे यह समस्या और जटिल हो गई है। अमेरिकी प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कई राज्य—जैसे पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली-एनसीआर और पूर्वोत्तर के क्षेत्र—सिंथेटिक ड्रग्स के अवैध निर्माण और उपभोग के बड़े केंद्र के रूप में उभरे हैं। वहीं मुंबई, गुजरात और तमिलनाडु जैसे तटीय इलाकों का इस्तेमाल ड्रग्स और उनके कच्चे माल की तस्करी के लिए किया जा रहा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में नशीले पदार्थों की समस्या गंभीर है, हालांकि सरकार और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) लगातार इस पर काबू पाने के प्रयास कर रहे हैं। आंकड़े इसकी गंभीरता को दर्शाते हैं। उदाहरण के तौर पर, 2024 में रिकॉर्ड 16,914 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गईं।
सामाजिक न्याय मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि भारत में करीब 3.1 करोड़ लोग भांग का सेवन करते हैं, जबकि 1.07 करोड़ लोग अफीम, कोकीन और अन्य अवैध नशीले पदार्थों का उपयोग करते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में औसतन हर दिन 21 लोग ड्रग्स या शराब की लत के कारण आत्महत्या करते थे, और 2017 में 22,000 से अधिक मौतें सीधे तौर पर ड्रग्स से जुड़ी थीं।
सरकार के प्रयासों की झलक यह है कि 2023-24 में 5.8 लाख से अधिक लोगों ने नशा मुक्ति कार्यक्रमों से मदद ली। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि समस्या भले ही बड़ी हो, लेकिन भारत सरकार इसे नियंत्रित करने के लिए गंभीर कदम उठा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका की रिपोर्ट और ट्रंप के बयान से दोनों देशों के बीच इस विषय पर नई बहस छिड़ सकती है। भारत लंबे समय से ड्रग्स की तस्करी और अवैध उत्पादन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की कोशिश करता आया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ट्रंप के इस बयान के बाद भारत और अमेरिका के बीच इस मुद्दे पर साझेदारी और सहयोग किस दिशा में बढ़ता है।
