भारत-भूटान पहली ट्रेन सेवा: 4 साल में पूरी होगी कोकराझार-गेलफू रेल परियोजना
नई दिल्ली । भारत और भूटान के बीच कनेक्टिविटी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। दोनों देशों के बीच पहली बार रेल सेवा शुरू की जाएगी। विदेश सचिव विक्रम मिसरी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को इसकी आधिकारिक जानकारी दी। इस घोषणा के साथ ही भारत-भूटान संबंधों में परिवहन क्षेत्र में नया अध्याय जुड़ गया है।
कोकराझार-गेलफू रेल लाइन: भूटान को पहली बार भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ेगी
पहला बड़ा प्रोजेक्ट कोकराझार-गेलफू रेल लाइन है। यह रेल लाइन असम के कोकराझार और चिरांग जिलों को भूटान के सारपांग जिले से जोड़ेगी। 69 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन के निर्माण पर 3,456 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
यह भूटान की पहली रेल कनेक्टिविटी होगी। इसमें आधुनिक सुविधाओं के साथ 6 स्टेशन, 2 वायडक्ट, 2 महत्वपूर्ण पुल, 29 बड़े पुल और 65 छोटे पुल, 2 गुड्स शेड, 1 रोड ओवर ब्रिज तथा 39 रेल अंडर ब्रिज बनाए जाएंगे। यह परियोजना 4 साल में पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रोजेक्ट न केवल व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा।
बनारहाट-सामत्से रेल लाइन: दूसरे प्रोजेक्ट से तेज़ कनेक्टिविटी
भारत-भूटान रेल कनेक्टिविटी का दूसरा प्रोजेक्ट बनारहाट-सामत्से रेल लाइन है। यह पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले से भूटान के सामत्से जिले तक बनाई जाएगी। 20 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर 577 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसे 3 साल में पूरा करने का लक्ष्य है।
इस रेल लाइन में 2 स्टेशन, 1 बड़ा पुल, 24 छोटे पुल, 1 रोड ओवरब्रिज और 37 रोड अंडरब्रिज शामिल होंगे।
सीमावर्ती इलाकों में आएगा विकास का नया दौर
रेल मंत्रालय के अनुसार, इन दोनों परियोजनाओं के निर्माण से भारत-भूटान के बीच व्यापार, पर्यटन और लोगों की आवाजाही को बड़ी राहत मिलेगी। अभी तक भूटान में रेल सेवा नहीं है और सभी आयात-निर्यात सड़क मार्ग से होते हैं। इन रेल लाइनों के तैयार होने से समय और लागत दोनों में भारी कमी आएगी।
इसके अलावा, सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। निर्माण कार्य के दौरान भी हजारों लोगों को अस्थायी रोजगार मिलेगा।
रणनीतिक और सांस्कृतिक महत्व
यह परियोजनाएं केवल परिवहन के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि दोनों देशों के रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करेंगी। भारत और भूटान के बीच दशकों से घनिष्ठ संबंध हैं और यह रेल कनेक्टिविटी उस साझेदारी को और गहरा करेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन रेल परियोजनाओं से न केवल मालवाहन बल्कि पैसेंजर ट्रेनें भी भविष्य में चल सकती हैं, जिससे पर्यटन और धार्मिक यात्राएं भी आसान हो जाएंगी।
भारत-भूटान के बीच रेल कनेक्टिविटी का यह सपना जल्द ही हकीकत बनने जा रहा है। कोकराझार-गेलफू और बनारहाट-सामत्से रेल परियोजनाओं से दोनों देशों के बीच रिश्तों को नई मजबूती मिलेगी और सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को भी रफ्तार मिलेगी। आने वाले वर्षों में यह रेल नेटवर्क दक्षिण एशिया में कनेक्टिविटी का नया मॉडल पेश करेगा।
