डायबिटीज मरीजों के लिए बिना चीनी वाला सादा दूध सुरक्षित और फायदेमंद
नई दिल्ली। डायबिटीज आज के दौर की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इस बीमारी में मरीजों को खानपान पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है। खासकर मीठे खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ से दूरी बनाना जरूरी माना जाता है। ऐसे में कई मरीज यह सोचकर दूध से भी परहेज़ करने लगते हैं कि इसमें मौजूद प्राकृतिक शुगर (लैक्टोज) उनके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकती है। हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स की राय इससे बिल्कुल अलग है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना चीनी वाला सादा दूध न केवल सुरक्षित है, बल्कि डायबिटीज मरीजों के लिए फायदेमंद भी साबित हो सकता है।
दूध में मौजूद प्राकृतिक शुगर हानिकारक नहीं
सादा दूध में लैक्टोज नामक प्राकृतिक शुगर होती है। यह शुगर शरीर में धीरे-धीरे ग्लूकोज में परिवर्तित होती है। इसकी वजह से ब्लड शुगर अचानक नहीं बढ़ता, बल्कि नियंत्रण में बना रहता है। विशेषज्ञों के अनुसार, दूध का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) लगभग 46 होता है, जो इसे मॉडरेट कैटेगरी में रखता है। यानी इसका असर धीरे-धीरे होता है और डायबिटीज मरीजों के लिए खतरा नहीं बनता।
प्रोटीन और इंसुलिन रिलीज का लाभ
दूध सिर्फ कैल्शियम और विटामिन का स्रोत ही नहीं है, बल्कि इसमें मौजूद प्रोटीन इंसुलिन रिलीज में भी मदद करता है। इंसुलिन का संतुलन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए सादा दूध ब्लड शुगर को संतुलित बनाए रखने का एक प्राकृतिक और सुरक्षित विकल्प है।
पोषक तत्वों से भरपूर
सादा दूध कई आवश्यक पोषक तत्वों का खजाना है। इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, आयोडीन और विटामिन बी12 प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्व हड्डियों की मजबूती, मांसपेशियों के विकास और तंत्रिका तंत्र के सुचारू संचालन के लिए बेहद जरूरी हैं। नियमित रूप से सादा दूध पीने से न सिर्फ ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है बल्कि शरीर को समग्र रूप से पोषण भी मिलता है।
फ्लेवर्ड दूध से नुकसान
एक ओर जहां सादा दूध डायबिटीज मरीजों के लिए फायदेमंद है, वहीं दूसरी ओर फ्लेवर्ड दूध और शुगर मिल्क उनके लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। चॉकलेट मिल्क, स्ट्रॉबेरी मिल्क, मिल्कशेक या कैफे लट्टे जैसे विकल्पों में अतिरिक्त चीनी की मात्रा बहुत अधिक होती है। ये शुगर शरीर में तेजी से अवशोषित होकर ब्लड शुगर लेवल को अचानक बढ़ा सकती है। लगातार इनका सेवन करने से डायबिटीज कंट्रोल से बाहर हो सकता है और मोटापा, हृदय रोग और दांतों की समस्याओं जैसी अन्य स्वास्थ्य परेशानियां भी बढ़ सकती हैं।
दांतों की सेहत के लिए भी बेहतर
सादा दूध दांतों की सेहत के लिए भी अच्छा माना जाता है। इसमें प्राकृतिक शुगर की मात्रा कम होने से कैविटी का खतरा घटता है। जबकि फ्लेवर्ड दूध में मौजूद अतिरिक्त शुगर दांतों की सड़न और अन्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
विशेषज्ञों की सलाह
हेल्थ एक्सपर्ट्स डायबिटीज मरीजों को सलाह देते हैं कि वे हमेशा सादा दूध का सेवन करें और फ्लेवर्ड दूध या मीठे दूध से दूरी बनाए रखें। सही मात्रा में सादा दूध पीने से न केवल ब्लड शुगर संतुलित रहता है, बल्कि शरीर को आवश्यक पोषण भी मिलता है।
कुल मिलाकर, बिना चीनी वाला सादा दूध डायबिटीज मरीजों के लिए एक सुरक्षित और संतुलित विकल्प है। यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने के साथ-साथ हड्डियों और दांतों की मजबूती, मांसपेशियों के विकास और तंत्रिका तंत्र की सेहत को भी बनाए रखता है। इसलिए, डायबिटीज के मरीजों को दूध से परहेज़ करने की बजाय इसे अपने दैनिक आहार का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए, बस ध्यान रहे कि यह सादा और बिना चीनी वाला हो।
