राजस्थान के नागौर जिले के रियांबड़ी उपखंड क्षेत्र में ग्राम नृसिंह बासनी की डोली के नाम दर्ज 44 बीघा जमीन को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के तथाकथित पुजारी और उनके वारिसान ने सरपंच पुत्र के नाम अवैध रूप से जमीन की रजिस्ट्री और म्यूटेशन करवा लिया, जबकि इस जमीन पर पूर्व से ही न्यायालय में वाद विचाराधीन था। ग्रामीणों ने इस पूरे प्रकरण में राजस्व विभाग के कार्मिकों की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए शिविर प्रभारी एसडीओ को ज्ञापन सौंपकर सख्त कार्रवाई की मांग की है।


क्या है पूरा मामला?

ग्राम नृसिंह बासनी की खसरा नंबर 227, 228, 229, 237 और 424 से लेकर 428 तक की कुल करीब 44 बीघा जमीन डोली के नाम दर्ज है। यह जमीन वर्षों से धार्मिक मान्यता के अनुसार मंदिर व पुजारी के नाम पर संरक्षित रही है। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि शिवदास और उसके वारिसान—राजूराम, नौरतमल और भीकीदेवी ने मिलीभगत कर इस जमीन को अपने नाम करवा लिया।

ग्रामीणों ने पहले ही इस आशंका को लेकर अधिकारियों को अवगत करवा दिया था कि डोली की जमीन को बेचा जा सकता है। उन्होंने तहसीलदार रियांबड़ी, नायब तहसीलदार भैरून्दा, पटवारी कोड व आरआई आलनियावास तक से निवेदन किया था कि विवादित जमीन पर किसी भी प्रकार का रजिस्ट्री या म्यूटेशन ना किया जाए।


फिर भी दो दिन में हुआ सौदा और म्यूटेशन!

चौंकाने वाली बात यह रही कि दिनांक 03 जुलाई को इस जमीन की रजिस्ट्री सरपंच धन्नाराम लांछ के बेटे राकेश लांछ और इमामुद्दीन के नाम कर दी गई। अगले ही दिन म्यूटेशन भी रातोंरात दर्ज कर दिया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि राजस्व कार्मिकों ने चंद रुपयों के लालच में सारी प्रक्रिया नियमों को ताक पर रखकर पूरी की, जबकि राजस्व अपील अधिकारी, नागौर द्वारा इस भूमि पर स्थगन आदेश पहले से ही जारी था।


ग्रामीणों में गुस्सा, शिविर में सौंपा ज्ञापन

इस कार्रवाई से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। दिनेश राणेजा, अशोक कुमार, मुरलीधर, भीमसिंह, नाथूसिंह, विष्णु, नेमाराम, सुगनसिंह, ओमदास, मंजूदेवी और गीमादेवी सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने सम्बल पखवाड़ा शिविर में पहुंचकर एसडीओ रियांबड़ी सुरेश केएम को ज्ञापन सौंपा

ज्ञापन में उन्होंने मांग की कि इस प्रकरण में शिवदास और उसके वारिसान, सरपंच परिवार, इमामुद्दीन तथा संलिप्त राजस्व कार्मिकों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए और डोली की भूमि को पुर्नस्थापित कर गांव के हित में सुरक्षित किया जाए।


पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले

यह मामला कोई नया नहीं है। क्षेत्र में भू-माफिया लंबे समय से डोली और दलितों की जमीनों को औने-पौने दामों में बेचकर चांदी कूट रहे हैं। धार्मिक और सामाजिक रूप से आरक्षित ज़मीनों पर फर्जीवाड़े कर कब्जा करने और बेकद्री से बेचने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन प्रशासन की कार्रवाई अक्सर सीमित या शिथिल रही है।


जांच के आदेश, तीन सदस्यीय टीम गठित

एसडीओ सुरेश केएम ने मामले को गंभीर मानते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। उन्होंने कहा:

“मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए गए हैं। पांच दिन में रिपोर्ट पेश की जाएगी। यदि राजस्व कार्मिकों की संलिप्तता पाई जाती है तो अनुशासनात्मक कार्रवाई तय है।”


ग्रामीणों की मांगें

ग्रामीणों ने ज्ञापन के माध्यम से निम्नलिखित मांगें रखीं:

  • डोली की जमीन की रजिस्ट्री व म्यूटेशन को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए।
  • संबंधित राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों पर FIR दर्ज की जाए।
  • पुजारी परिवार व सरपंच पुत्र के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हो।
  • भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जिला स्तरीय निगरानी कमेटी का गठन किया जाए।