थांवला में धूमधाम से मनाया दशहरा पर्व, रावण दहन का भव्य आयोजन
नागौर जिले के थांवला कस्बे में इस वर्ष भी दशहरा पर्व बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया गया। हर साल की तरह इस बार भी ग्रामवासियों के सहयोग से दशहरे का भव्य आयोजन हुआ। आयोजन कमेटी ने परंपरागत रूप से रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले तैयार करवाए, जिन्हें सूर्यास्त के समय दहन किया गया।

रामलीला मंचन ने बांधा समां
दशहरे के मुख्य कार्यक्रम से पहले रामलीला मंचन का आयोजन किया गया। इसमें गांव के बच्चों ने राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान और वानर सेना का रूप धारण कर आकर्षक झांकी प्रस्तुत की। राम-रावण युद्ध का दृश्य जीवंत अंदाज़ में दिखाया गया, जिसे देखकर उपस्थित दर्शक रोमांचित हो उठे।
महंत का सानिध्य और आशीर्वाद
मंच पर विराजमान श्री भूचरनाथ जी महाराज मंदिर के महंत श्री श्री 1008 पीर मंगलनाथ जी महाराज का ग्रामवासियों ने हार्दिक स्वागत किया। महंत जी के आशीर्वाद और सानिध्य में पूरे कार्यक्रम को गति प्रदान की गई। उनका आशीर्वचन सुनकर लोगों ने धर्म और संस्कृति के महत्व को समझा।
असत्य पर सत्य की जीत का संदेश
सूर्यास्त होते ही रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों में अग्नि लगाई गई। जैसे ही पुतले धधककर जलने लगे, चारों ओर जय श्रीराम के उद्घोष गूंज उठे। दहन के इस दृश्य ने आमजन को यह संदेश दिया कि असत्य और अहंकार का अंत निश्चित है, और सत्य व धर्म की सदैव जीत होती है।
आयोजक मंडल ने बताया कि जीवन में की गई एक गलती पूरा वंश खत्म कर सकती है, इसलिए हमें सदैव धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।
राम दरबार की मंगल आरती
रावण दहन के पश्चात राम दरबार की भव्य आरती की गई। इस दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीराम के चरणों में प्रार्थना कर सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।
हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़
दशहरे के इस आयोजन को देखने के लिए थांवला कस्बे सहित आसपास के गांव और ढाणियों से हजारों की संख्या में महिला, पुरुष और बच्चे पहुंचे। मंचन और रावण दहन के दौरान हर कोई मंत्रमुग्ध नजर आया।
गांव के बुजुर्गों का कहना था कि दशहरा केवल एक पर्व नहीं बल्कि हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक है। इसे हर वर्ष मिलकर मनाने से आपसी भाईचारा और सामाजिक एकता भी मजबूत होती है।
थांवला कस्बे का दशहरा पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा का जीवंत उदाहरण है। यहां का रावण दहन, रामलीला मंचन और सामूहिक उत्सव लोगों को सत्य, धर्म और सदाचार के महत्व का संदेश देता है।
