November 15, 2025
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एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ा: भारतीय पेशेवरों में चिंता, सरकार की सफाई

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया निर्णय ने भारतीय आईटी पेशेवरों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में हलचल पैदा कर दी है। ट्रंप ने एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करते हुए एच-1बी वीजा का सालाना शुल्क 1 लाख अमेरिकी डॉलर तक करने की घोषणा की। यह घोषणा सामने आते ही अमेरिका में रह रहे हजारों भारतीय पेशेवरों और उनके परिवारों में गहरी चिंता और असमंजस का माहौल बन गया।

हालांकि कुछ ही घंटों बाद व्हाइट हाउस ने इस निर्णय पर सफाई देते हुए स्पष्ट किया कि यह भारी-भरकम शुल्क सिर्फ नए आवेदकों पर लागू होगा। मौजूदा वीजा धारकों या उनके वीजा नवीनीकरण पर यह नियम लागू नहीं होगा। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि यह शुल्क एक बार-ली जाने वाली फीस होगी, यानी हर साल नहीं देना होगा।

फिर भी इस ऐलान ने भारतीय समुदाय और आईटी उद्योग को हिला कर रख दिया। अमेरिका में कार्यरत भारतीय पेशेवरों के बीच अचानक अफरा-तफरी मच गई। कई लोगों ने भारत यात्रा के अपने टिकट आखिरी समय में रद्द कर दिए, जबकि भारत में मौजूद लोग अमेरिका वापसी को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं। इमिग्रेशन वकीलों और कंपनियों ने वीजा धारकों को सलाह दी है कि वे जल्द से जल्द अमेरिका लौट आएं ताकि भविष्य में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।

भारतीय सरकार ने भी इस मसले पर गंभीरता दिखाई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि सरकार इस फैसले के पूर्ण असर का अध्ययन कर रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय और अमेरिकी उद्योग जगत दोनों ही इस मुद्दे पर मिलकर चर्चा करेंगे, क्योंकि नवाचार और टेक्नोलॉजी में कुशल टैलेंट का योगदान दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए बेहद आवश्यक है।

सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि इस फैसले से मानवीय संकट खड़ा हो सकता है। हजारों परिवारों की जिंदगी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि एच-1बी वीजा भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में रोजगार और स्थायी निवास की महत्वपूर्ण राह है। इस स्थिति में कई परिवारों के सामने रोजगार, वीजा नवीनीकरण और भविष्य की योजनाओं को लेकर गंभीर अनिश्चितता पैदा हो गई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस नए शुल्क से अमेरिका में पहले से मौजूद भारतीय प्रतिभा और वहां कार्यरत कंपनियों की नीतियों पर बड़ा असर पड़ेगा। आईटी और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में भारतीय पेशेवरों की भागीदारी बहुत अधिक है, और इस तरह का निर्णय न केवल भारत बल्कि अमेरिका के उद्योग जगत को भी प्रभावित कर सकता है।

भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से तकनीकी और औद्योगिक साझेदारी रही है। इस फैसले के बाद यह साझेदारी नए आयामों पर खड़ी होगी या प्रभावित होगी, यह आने वाला समय बताएगा। फिलहाल, भारतीय समुदाय उम्मीद कर रहा है कि दोनों देशों की सरकारें और उद्योग इस मामले में समाधान खोजेंगे और मौजूदा अनिश्चितता को दूर करेंगे।

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