कांच तोड़े, बेड खींचे, मरीजों को कंधे पर उठाया — SMS अस्पताल के असली हीरो बने चार पुलिसकर्मी
जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर के सवाई मान सिंह (SMS) अस्पताल में रविवार देर रात लगी भीषण आग ने जहां आठ जिंदगियां लील लीं, वहीं इस भयावह हादसे में कुछ ऐसे ‘हीरोज’ सामने आए जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की जिंदगी बचाई। ये चार पुलिसकर्मी – वेदवीर सिंह, हरि मोहन, ललित और हरिओम – वाकई में मानवता की मिसाल बन गए हैं।
ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल पर देर रात करीब 11 बजे शॉर्ट सर्किट से लगी आग ने पूरे आईसीयू वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। चारों ओर धुआं, जलते उपकरणों की गंध और मरीजों की चीखें – माहौल इतना भयावह था कि कोई भी अंदर जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
लेकिन उसी वक्त कांस्टेबल हरिओम ने हिम्मत दिखाई। ड्यूटी पर तैनात हरिओम ने बिना कुछ सोचे कांच तोड़ा, बेड खींचे और बेहोश मरीजों को कंधे पर उठाकर बाहर लाने लगे। धुआं आंखों में चुभ रहा था, सांस रुकने लगी थी, मगर उन्होंने हार नहीं मानी। अकेले हरिओम ने 5-6 मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला।
उनके पीछे उनके साथी वेदवीर सिंह, हरि मोहन और ललित भी आग के बीच कूद पड़े। किसी ने मरीजों को वेंटिलेटर समेत बाहर निकाला, किसी ने परिजनों को गोद में उठाया। वेदवीर सिंह ने बताया – “हमारी यूनिफॉर्म पर आग की आंच लगी, लेकिन सोचा कि ये मरीज हमारे भरोसे हैं, हमें रुकना नहीं है।”
चारों जांबाजों ने 10 से ज्यादा मरीजों की जान बचाई, लेकिन खुद जहरीले धुएं से बेहोश होकर गिर पड़े। फिलहाल उनका इलाज अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में चल रहा है। डॉक्टरों ने कहा कि “अगर कुछ देर और अंदर रहते तो इनकी भी जान जा सकती थी।”
मरीजों के परिजनों के लिए ये पुलिसकर्मी किसी भगवान से कम नहीं। एक महिला ने रोते हुए कहा – “मेरे पति तो नहीं बचे, लेकिन इन पुलिसवालों ने मेरी बहन को जिंदा निकाल लिया।”
इस हादसे में सात गंभीर मरीजों की मौत हो गई। दमकल की चार गाड़ियाँ करीब एक घंटे बाद आग पर काबू पा सकीं, लेकिन तब तक नुकसान बहुत हो चुका था।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मौके पर पहुंचकर मृतकों के परिजनों को ₹5-5 लाख मुआवजा और घायलों के मुफ्त इलाज की घोषणा की। साथ ही उन्होंने कहा कि “इन बहादुर पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया जाएगा, और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई होगी।”
सोशल मीडिया पर अब इन चारों रियल हीरोज की बहादुरी की जमकर तारीफ हो रही है। लोग कह रहे हैं
“इन पुलिसवालों ने साबित कर दिया कि वर्दी सिर्फ कानून की नहीं, इंसानियत की भी पहचान है।”
इन चारों बहादुर जवानों ने उस रात दिखा दिया कि जब दुनिया डर से पीछे हटती है, तो कुछ लोग आगे बढ़कर उम्मीद बन जाते हैं। जयपुर की इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि इंसानियत आज भी जिंदा है।
