खुड़ी कलां के काश्तकारों को मिला वर्षों पुराना भूमि विवाद का समाधान | ग्रामीण सेवा शिविर 2025 बना न्याय का प्रतीक
नागौर। राजस्थान सरकार द्वारा ग्रामीण विकास एवं जनकल्याण की दिशा में चलाई जा रही “ग्रामीण सेवा शिविर 2025” पहल के तहत नागौर जिले की ग्राम पंचायत खुड़ी कलां में आयोजित शिविर ने एक मिसाल कायम की है। वर्षों से लंबित एक जटिल भूमि विवाद का समाधान प्रशासन की तत्परता, संवेदनशीलता और न्यायपूर्ण निर्णय से मौके पर ही कर दिया गया। इस कदम ने न केवल विवादग्रस्त परिवारों को राहत दी, बल्कि प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर ग्रामीणों का विश्वास भी मजबूत किया।
ग्राम खुड़ी कलां में स्थित खसरा संख्या 51 (रकबा 2.95 हैक्टर) एवं 882/1 (रकबा 3.61 हैक्टर) की भूमि को लेकर कई वर्षों से पारिवारिक मतभेद और सीमांकन संबंधी असमंजस बना हुआ था। पीढ़ियों से चल रहे इस विवाद के चलते भूमि का सही बंटवारा नहीं हो पा रहा था, जिससे ग्रामीणों में तनाव और अनिश्चितता का माहौल था।
शिविर के दौरान काश्तकार राकेश पुत्र भंवरलाल एवं सुरेशचंद्र पुत्र भंवरलाल ने अपनी समस्या तहसीलदार राधिका चौधरी के समक्ष रखी। उन्होंने बताया कि भूमि बंटवारे को लेकर परिवार के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है और अब वे इसका निष्पक्ष समाधान चाहते हैं।
तहसीलदार राधिका चौधरी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत कार्रवाई की पहल की। मौके पर उपस्थित ग्राम सरपंच, राजस्व विभाग के अधिकारी, एवं शिविर में आए लाभार्थियों की मौजूदगी में दोनों पक्षों की सहमति से विभाजन प्रस्ताव तैयार किया गया। पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुए सीमाओं का स्पष्ट निर्धारण किया गया और तहसीलदार द्वारा प्रस्ताव को मौके पर ही स्वीकृति दी गई।
इस मौके पर तहसीलदार चौधरी ने कहा कि,
“सरकार की मंशा है कि गांव-गांव तक न्याय और प्रशासन की सुविधाएं पहुंचे। ग्रामीण सेवा शिविरों का उद्देश्य यही है कि लोगों की समस्याएं उनके द्वार पर ही सुलझाई जाएं।”
उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे शिविर ग्रामीणों के बीच “सरकारी तंत्र पर भरोसे और न्याय की उम्मीद” को पुनर्जीवित करते हैं।
ग्राम पंचायत खुड़ी कलां के सरपंच ने भी तहसीलदार और प्रशासनिक टीम का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शिविर ने न केवल एक पुराने विवाद का अंत किया बल्कि गांव में सौहार्द और एकता का माहौल भी स्थापित किया है।
शिविर में उपस्थित ग्रामीणों ने प्रशासनिक टीम की कार्यशैली की सराहना की और कहा कि वर्षों पुरानी समस्या का मौके पर निपटारा होना “सरकार की संवेदनशीलता और जनसेवा के प्रति समर्पण” का प्रमाण है।
इस निर्णय से अब काश्तकारों को अपनी भूमि का स्वतंत्र स्वामित्व एवं स्पष्ट सीमांकन प्राप्त हुआ है, जिससे भविष्य में किसी तरह के विवाद की संभावना समाप्त हो गई है।
खुड़ी कलां का यह उदाहरण न केवल जिले बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल बन गया है, जो दिखाता है कि जब प्रशासन संवेदनशीलता और निष्ठा से कार्य करे तो वर्षों पुराने विवाद भी मिनटों में सुलझ सकते हैं।
ग्रामीण सेवा शिविर के माध्यम से सरकार का यह प्रयास “न्याय आपके द्वार” की अवधारणा को साकार करता है और यह साबित करता है कि प्रशासन जब जनता के बीच पहुंचता है, तो समस्याओं का समाधान आसान हो जाता है।
