लम्पी से पीड़ित गौवंश को खिलाए आयुर्वेदिक लड्डू – गौरक्षादल टीम थांवला की सराहनीय पहल
थांवला। क्षेत्र में गौसेवा को समर्पित गौरक्षादल थांवला ने एक बार फिर समाज के सामने मानवीयता और सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। लम्पी स्किन डिज़ीज़ (LSD) से पीड़ित निराश्रित गौवंश की स्थिति को देखते हुए गौरक्षादल टीम द्वारा इन दिनों विशेष आयुर्वेदिक लड्डू तैयार कर गौवंश को खिलाए जा रहे हैं। इस पहल ने पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना दिया है और लोगों को प्रेरित भी किया है कि कैसे निस्वार्थ भाव से सेवा की जा सकती है।
गौरक्षादल टीम के अध्यक्ष शैलेंद्र उपाध्याय ने बताया कि लम्पी रोग से ग्रसित गौवंश को कई प्रकार की दवाइयां दी जा रही हैं, लेकिन उनके अनुभव के अनुसार आयुर्वेदिक लड्डू इस रोग में अत्यधिक कारगर साबित हो रहे हैं। इन लड्डुओं में प्राकृतिक औषधीय तत्वों का मिश्रण किया जाता है, जो गौवंश की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और संक्रमण को फैलने से रोकते हैं। उन्होंने बताया कि जैसे ही किसी क्षेत्र में संक्रमित गौवंश की सूचना मिलती है, गौरक्षादल की टीम तुरंत मौके पर पहुंचकर उपचार और सेवा शुरू कर देती है।
टीम के संस्थापक रोहितास सिंह ने बताया कि इस समय लम्पी महामारी फिर से तेजी से फैल रही है, जिससे अनेक गोवंश असमय मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुःखद और चिंताजनक स्थिति है। समाज के लोगों को चाहिए कि वे अपने गौवंश को सड़कों या खेतों में निराश्रित न छोड़ें, बल्कि उनकी उचित देखभाल करें। रोहितास सिंह ने ग्रामीणों से अपील की कि अपने गोवंश को इस बीमारी से बचाने के लिए लाल दवा (डिटेल) का छिड़काव नियमित रूप से करें, साथ ही मक्खी-मच्छरों से बचाव के उपाय अपनाएं।
इस सेवा कार्य में मेड़ता से यशपाल जी कच्छावा भी सक्रिय रूप से जुड़े हैं। इसके अलावा राजस्थानी गैर मंडली हैदराबाद की टीम ने भी थांवला गौरक्षादल की इस पहल की सराहना करते हुए आभार प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे संगठन समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो बिना किसी स्वार्थ के गौवंश की सेवा कर रहे हैं।
गौरक्षादल टीम का यह प्रयास कोई नया नहीं है। दो वर्ष पूर्व, टीम ने पचनिंबी क्षेत्र में एक अस्थाई गौ-चिकित्सालय स्थापित किया था, जहाँ लगभग 400 से अधिक बीमार गौवंश का सफल उपचार किया गया था। पिछले सात वर्षों से गौरक्षादल थांवला लगातार निस्वार्थ भाव से गौसेवा के कार्यों में जुटा हुआ है। टीम की सेवा भावना देखकर अनेक भामाशाहों ने भी आगे बढ़कर आर्थिक सहयोग प्रदान किया है ताकि सेवा कार्य और अधिक व्यापक रूप से चलाए जा सकें।
शैलेंद्र उपाध्याय ने कहा कि लम्पी जैसी महामारी से निपटने के लिए सिर्फ सरकारी सहायता पर्याप्त नहीं है, समाज के प्रत्येक नागरिक को अपनी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा – “गौ हमारी संस्कृति की आत्मा है, इसकी रक्षा हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।”
थांवला गौरक्षादल टीम की यह पहल न केवल बीमार गौवंश के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है, बल्कि यह समाज में एक संदेश भी दे रही है कि सेवा का असली अर्थ अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों के जीवन में आशा की किरण जगाना है।
— रिपोर्ट: वैभव टाइम न्यूज़, थांवला
डेस्क/नितिन सिंह/नागौर/30 अक्टूबर 2025
