मानसिक रूप से पीड़ित बालक के इलाज की होगी उच्च स्तरीय व्यवस्था — मनोज सोनी
रियांबड़ी (संवाददाता/नितिन सिंह)।
मानवता की मिसाल पेश करते हुए बाल कल्याण समिति न्यायपीठ नागौर के अध्यक्ष मनोज सोनी ने शनिवार को रियाबड़ी क्षेत्र के मानकियावास गांव का दौरा किया। उन्हें सूचना मिली थी कि गांव में एक 15 वर्षीय मानसिक रूप से अस्वस्थ बालक को उसकी हिंसक प्रवृत्ति के चलते परिजनों ने रस्सी से बांधकर रखा हुआ है।
सूचना मिलते ही मनोज सोनी स्वयं टीम के साथ मौके पर पहुंचे और बालक की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने परिवार के सदस्यों से बालक की बीमारी और उसके पिछले उपचार की जानकारी ली। बालक को बंधन से मुक्त करवाते हुए सोनी ने कहा कि,
“किसी भी बच्चे को इस प्रकार की स्थिति में नहीं रखा जा सकता। हम बालक के इलाज और देखरेख के लिए उच्च स्तरीय व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे ताकि उसे सामान्य जीवन जीने का अवसर मिल सके।”
👨⚕️ बालक के इलाज के लिए उठाए जाएंगे ठोस कदम
मनोज सोनी ने परिजनों को आश्वस्त किया कि बाल कल्याण समिति बालक के इलाज के लिए हर संभव कदम उठाएगी। यदि जरूरत पड़ी तो उसे विशेष देखरेख गृह या पुनर्वास केंद्र में भेजने के लिए विधिक आदेश जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासन और समिति दोनों मिलकर बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य सुधार हेतु उचित कदम उठाएंगे।
🏡 परिजनों ने बताई दर्दभरी कहानी
बालक के पिता ने बताया कि जन्म के समय बच्चा बिल्कुल स्वस्थ था, लेकिन कुछ वर्ष पूर्व तेज बुखार आने के बाद उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी।
धीरे-धीरे वह चिड़चिड़ा और हिंसक स्वभाव का हो गया। परिवार ने कई डॉक्टरों से इलाज करवाया, परंतु कोई स्थायी सुधार नहीं हुआ।
मजबूरीवश परिजनों को बालक को घर में रस्सी से बांधकर रखना पड़ रहा था ताकि वह खुद को या दूसरों को नुकसान न पहुंचाए।
❤️ संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई की सराहना
गांववासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मनोज सोनी की इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की संवेदनशील कार्रवाई से प्रशासनिक तंत्र पर जनता का भरोसा मजबूत होता है।
सोनी ने स्थानीय चिकित्सा अधिकारियों से भी बालक के स्वास्थ्य की जांच करने और आवश्यक रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए।
✳️ समिति की प्राथमिकता – बाल अधिकार और मानवीय दृष्टिकोण
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा कि समिति का उद्देश्य सिर्फ कानून लागू करना नहीं बल्कि प्रत्येक बालक के अधिकार और सम्मान की रक्षा करना है।
उन्होंने कहा,
“हम हर उस बच्चे तक पहुंचने का प्रयास करेंगे जो किसी भी कारण से असहाय या उपेक्षित है। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में जागरूकता जरूरी है, ताकि कोई भी बच्चा ऐसी स्थिति में न पहुंचे।”

रियाबड़ी के मानकियावास गांव की यह घटना समाज को यह संदेश देती है कि मानसिक रूप से बीमार बच्चों के साथ संवेदनशीलता, इलाज और सहानुभूति के साथ व्यवहार करना हमारी जिम्मेदारी है। बाल कल्याण समिति की सक्रियता से उम्मीद है कि इस बालक को जल्द ही बेहतर उपचार और सुरक्षित वातावरण मिल सकेगा।

