November 15, 2025
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NAGAUR का अनोखा मंदिर: भंवाल माता को चढ़ता है शराब, भक्तों की उमड़ती भीड़

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संवाददाता/डीडी चारण की रिपोर्ट 
राजस्थान की धरती अपनी आस्था, परंपराओं और अनोखी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध रही है। यहाँ हर मंदिर की अपनी एक विशेष पहचान और लोकमान्यता होती है। नागौर ज़िले के रियांबड़ी उपखंड क्षेत्र के भंवाल गाँव में स्थित श्री भंवाल माता मंदिर भी इन्हीं में से एक अनूठा मंदिर है, जो देशभर के श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहाँ माता को ढाई प्याला शराब का भोग लगाया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी आस्था के साथ निभाई जाती है। मान्यता है कि भक्त यदि सच्चे मन और श्रद्धा के साथ माता को ढाई प्याला शराब अर्पित करते हैं तो माता उनकी मुरादें पूरी करती हैं और प्रसाद स्वरूप इसे स्वीकार करती हैं।

मंदिर की विशेषता

भंवाल माता मंदिर में दो प्रमुख प्रतिमाएँ विराजमान हैं—

  • कालिका माता
  • ब्रह्माणी माता

जहाँ कालिका माता को शराब का भोग चढ़ाया जाता है, वहीं ब्रह्माणी माता को मेवा और मिष्ठान अर्पित किया जाता है। यही नहीं, भोग का एक हिस्सा मंदिर में विराजमान काले और गोरे भैरव को भी अर्पित किया जाता है।

मंदिर के पुजारी हनुमानपुरी बताते हैं कि यह परंपरा बहुत पुरानी है। वे कहते हैं कि “माता केवल उसी भक्त की ढाई प्याली स्वीकार करती हैं, जो सच्चे मन और आस्था के साथ अर्पित की जाती है। दिखावे या अपवित्र मन से दी गई भेंट माता तक नहीं पहुँचती।”

सालभर उमड़ती है भीड़

भंवाल माता मंदिर केवल नागौर ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान और अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है। सालभर यहाँ भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। ख़ासकर नवरात्रि के समय यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर परिसर और आसपास मेले जैसा माहौल बन जाता है।

नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है। भक्त दूर-दराज़ से पहुँचकर माता के दर्शन करते हैं और ढाई प्याली का भोग अर्पित करके अपनी मन्नतें माँगते हैं। इस अवसर पर मंदिर के आसपास रंग-बिरंगी दुकानें सज जाती हैं, जिनमें पूजा-सामग्री से लेकर ग्रामीण संस्कृति के सामान तक उपलब्ध रहते हैं।

श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएँ

भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर ट्रस्ट की ओर से धर्मशालाओं का निर्माण कराया गया है। यहाँ आने वाले यात्री और श्रद्धालु आराम से ठहर सकते हैं। मंदिर परिसर की स्वच्छता और व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि भक्तजन बिना किसी असुविधा के पूजा-अर्चना कर सकें।

आस्था और लोकमान्यता

राजस्थान के लोकविश्वास में भंवाल माता मंदिर की गहरी जगह है। लोग मानते हैं कि माता की कृपा से हर कठिनाई दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। शराब का भोग चढ़ाने की यह अनोखी परंपरा राजस्थान की लोकसंस्कृति और आस्था का प्रतीक है, जो आज भी उसी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जा रही है।

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