थांवला में आरएसएस का शताब्दी वर्ष पथ संचलन: अनुशासन, एकता और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत उदाहरण
नागौर जिले के थांवला कस्बे में आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक भव्य पथ संचलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कस्बे के कोने-कोने से सैकड़ों स्वयंसेवक एकत्रित हुए और अनुशासन, राष्ट्रप्रेम एवं संगठन की भावना का सशक्त प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम का प्रारंभ राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय थांवला के विशाल खेल मैदान से हुआ। स्वयंसेवकों ने पारंपरिक गणवेश में डंडा लेकर सुसज्जित पंक्तियों में कदमताल करते हुए पथ संचलन की शुरुआत की। संचलन दल ने कस्बे के प्रमुख मार्गों — मुख्य बाजार, बस स्टैंड, नया बास, पुराना बाजार, और पंचायत परिसर — से होते हुए पुनः विद्यालय परिसर में पहुंचकर इसका समापन किया।
पथ संचलन के दौरान कस्बे के नागरिकों, व्यापारियों और ग्रामीणों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा कर संघ के स्वयंसेवकों का स्वागत किया। स्थानीय नागरिकों ने घरों की छतों से फूल बरसाए और देशभक्ति नारों से माहौल गुंजायमान कर दिया। युवा, बच्चे और बुजुर्ग सभी वर्गों में उत्साह देखने को मिला।
समापन कार्यक्रम में संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवकों और वक्ताओं ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए, जिससे वातावरण पूरी तरह देशप्रेम के रंग में रंग गया। वक्ताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्षों की गौरवशाली यात्रा और राष्ट्र निर्माण में उसकी भूमिका पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संघ न केवल संगठन का प्रतीक है, बल्कि यह अनुशासन, समर्पण और समाज सेवा का जीवंत उदाहरण है।
वक्ताओं ने बताया कि संघ के कार्यकर्ता सदैव समाज के हर वर्ग के लिए कार्यरत रहते हैं — चाहे वह शिक्षा, सेवा, संस्कृति या राष्ट्र रक्षा का क्षेत्र हो। उन्होंने कहा कि संघ की मूल भावना “वसुधैव कुटुम्बकम्” पर आधारित है, जो पूरे विश्व को एक परिवार मानती है।

इस अवसर पर थांवला थाना पुलिस की टीम ने संपूर्ण पथ संचलन मार्ग पर सुरक्षा एवं यातायात व्यवस्था का जिम्मा संभाला। पुलिसकर्मियों ने पूरे अनुशासन और सहयोग के साथ कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
कस्बे में संघ का यह आयोजन लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा। महिलाएं ,बच्चे और वरिष्ठ नागरिक भी पथ संचलन को देखने के लिए सड़कों के किनारे खड़े नजर आए। पथ संचलन ने पूरे थांवला में एकता, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति का वातावरण बना दिया।
संघ के इस कार्यक्रम ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि भारत के भविष्य की नींव अनुशासन, संगठन और संस्कारों पर ही टिकी है। थांवला का यह पथ संचलन केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और राष्ट्र चेतना जगाने का माध्यम बन गया।
