जीवन को जान गए तो दुख में भी सुख दिखाई देगा – साध्वी सुहृदय गिरि विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़ और समाजसेवी कर्णवीर ने किया व्यास पूजन
राजसमंद। जीवन का वास्तविक अर्थ तभी समझा जा सकता है जब मनुष्य सुख और दुख दोनों को समान भाव से स्वीकार करे। श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस पर साध्वी सुहृदय गिरि ने अपने ओजस्वी प्रवचनों में कहा कि “जो व्यक्ति जीवन को समझ लेता है, उसके लिए दुख में भी सुख दिखाई देने लगता है।” उन्होंने कहा कि सुख और दुख जीवन के दो अभिन्न पक्ष हैं, और यदि मनुष्य इन दोनों स्थितियों में संतुलन बनाए रखना सीख ले, तो उसका पूरा जीवन एक उत्सव बन जाता है।

साध्वी सुहृदय गिरि ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस संसार में जो कुछ भी दिखाई देता है, वह सब अस्थायी है, स्थाई केवल ईश्वर का नाम और उनका स्मरण है। उन्होंने उपस्थित भक्तों से आग्रह किया कि वे अपने धर्म और आस्था के प्रति निष्ठावान रहें, ताकि समाज को सही दिशा और प्रेरणा मिल सके। उन्होंने कहा कि जब हम अपने धर्म, संस्कृति और कर्तव्य को समझकर उसका पालन करते हैं, तभी सच्चे अर्थों में जीवन सार्थक होता है।

कथा के दौरान साध्वी सुहृदय गिरि ने भगवान श्रीराम के विवाह उत्सव प्रसंग का सुंदर और भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने माता सीता और प्रभु श्रीराम के मिलन को धर्म, मर्यादा और आदर्शों का प्रतीक बताया। उनके वचनों से पूरा कथा पंडाल भक्तिरस से सराबोर हो उठा। श्रद्धालुओं ने “जय श्रीराम” के उद्घोष के साथ कथा का आनंद लिया और दिव्य वातावरण में भक्ति की अनुभूति की।
कथा के प्रारंभ में व्यास पीठ पूजन का आयोजन हुआ, जिसमें कुंभलगढ़ विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़, भाजपा नेता एवं समाजसेवी कर्णवीर सिंह राठौड़, तथा नेता प्रतिपक्ष हिम्मत कुमावत ने भाग लिया। इन सभी ने साध्वी सुहृदय गिरि के चरणों में पुष्प अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर साध्वी सुहृदय गिरि ने व्यास पीठ से सभी अतिथियों का इकलाई ओढ़ाकर सम्मान किया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
कथा स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही। चारों ओर भक्ति, श्रद्धा और उत्साह का माहौल था। इस मौके पर दिनेश स्वर्णकार, गिरिराज लावटी, सुरेश स्वर्णकार, दिनेश श्रोत्रिय, गिरीश अग्रवाल, हर्षवर्धन भाटी, लटूर राम, मोहन बापड़ोत, कृष्णा लड्ढा, चंदा देवपुरा, अनुराधा लड्ढा, पुष्पा साहू, शांता देवी लड्ढा, पार्वती साहू, कैलाश वैष्णव, और छनू प्रसाद नंदवाना सहित अनेक भक्तों ने व्यास पीठ की आरती एवं पूजन किया।
अंत में कथा के तृतीय दिवस के समापन पर सभी श्रद्धालुओं ने साध्वी सुहृदय गिरि के प्रवचनों को ध्यानपूर्वक सुना और अपने जीवन में धर्म, प्रेम, और सेवा का मार्ग अपनाने का संकल्प लिया।
कथा आयोजकों ने बताया कि आने वाले दिनों में भी कथा का क्रम जारी रहेगा, जिसमें भगवान श्रीराम के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों का उल्लेख किया जाएगा।
इस प्रकार राजसमंद में श्रीराम कथा का चतुर्थ दिवस भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक संदेशों से परिपूर्ण रहा। साध्वी सुहृदय गिरि के प्रेरणादायी उपदेशों ने सभी उपस्थित जनों के मन को शांति, ज्ञान और भक्ति से भर दिया।
